क्या आप जानते हैं की नवरात्रि क्यों मानते है? यदि हां तब आज का यह article आपके लिए काफी जानकारी भरा होने वाला है.

दोस्तों नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है जिसे तोहार के रूप में मनाया जाता है नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है "नवराते". 

इन 9 रातों और 10 दिनों के दौरान शक्ति देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. 10 दिन दशहरे के नाम से प्रसिद्ध है. नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है चैत्र और आश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है

नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों मां लक्ष्मी मां , सरस्वती और महाकाली के नौ रूपों की पूजा होती है नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महा उत्सव की तरह मनाया जाता है 

दोस्तो मैं आपको नौ देवियों के बारे में बताता हूं यह  

नौ देवियां कौन-कौन सी है , जो नवरात्रि में पूजी जाती है?

नवरात्री क्यों मनाई जाती है


दोस्तों यह इस प्रकार है 

  • शैलपुत्री इसका अर्थ होता है पहाड़ों की पुत्री 
  • ब्रह्मचारिणी इसका अर्थ है ब्रह्मचारिणी 
  • चंद्रघंटा इसका अर्थ है चांद की तरह चमकने वाली 
  • माला इसका अर्थ है पूरा जगत उनके पैर में है 
  • स्कंदमाता इसका अर्थ है कार्तिक स्वामी की माता
  •  कात्यायनी इसका कात्यायन आश्रम में जन्मी 
  • कालरात्रि इसका अर्थ है काल का नाश करने वाली 
  • महागौरी इसका अर्थ है सफेद रंग वाली 
  • मां सिद्धिदात्री इसका अर्थ है सर्व सिद्धि देने वाली इसके अतिरिक्त नौ देवियों की यात्रा की जाती है 


जो कि दुर्गा देवी के विभिन्न स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करती है जो इस प्रकार है : 

  • माता वैष्णो देवी जम्मू कटरा माता 
  • चामुंडा देवी हिमाचल प्रदेश 
  • मां ब्रजेश्वरी गढ़वाली 
  • मां ज्वालामुखी देवी माचल प्रदेश 
  • मां चिंतपूर्णी मां नैना देवी बिलासपुर 
  • मां मनसा देवी पंचकूला 
  • मां कालिका देवी कालका और 
  • मां शाकंभरी देवी सहारनपुर 

गुजरात का सुप्रसिद्ध तहवार नवरात्रि : 

दोस्तों नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनाई जाती है गुजरात में इस त्यौहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में जाना जाता है यह पूरी रात भर चलता है 

डांडिया का अनुभव बड़ा ही असाधारण है देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा आरती से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद , पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों की मुख्य त्योहारों में दुर्गा पूजा को मनाया जाता है.

देवी अंबा का प्रतिनिधित्व है , बसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्व पूर्ण संगम माना जाता है 

मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र माने जाते हैं तिथियां चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती है नवरात्रि मां दुर्गा की भक्ति और परमात्मा की शक्ति की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है

यह पूजा वैदिक युग से पहले प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है , नवरात्रि में देवी के शक्तिपीठ और सिद्ध पीठ पर भारी मेले लगते हैं माता के सभी शक्तिपीठों का महत्व अलग-अलग है लेकिन माता का स्वरूप एक ही है.

  • जम्मू कटरा के पास वैष्णो देवी बन जाती है तो कहीं पर चामुंडा रूप में पूजी जाती है 
  • बिलासपुर हिमाचल प्रदेश नैना देवी नाम से माता के मेले लगते हैं 
  • तो वहीं सहारनपुर में शाकुंभरी देवी के नाम से माता का भारी मेला लगता है 

लोक मान्यताओं के अनुसार लोगों का मानना है कि नवरात्रि के दिन व्रत करने से माता प्रसन्न होती है नवरात्रि के पहले 3 दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं यह पूजा उसकी ऊर्जा और शक्ति की जाती है प्रत्येक दिन दुर्गा मां की एक अलग रूप को समर्पित है, उसके बाद नवरात्रि के चौथे से छठे दिन होते हैं 

व्यक्ति जब क्रोध वासना और अन्य पदों पर की बुराई पर विजय प्राप्त कर लेता है वह 0 का अनुभव करता है आध्यात्मिक धर्म से भर जाता है प्रयोजन के लिए व्यक्ति सभी भौतिकवादी , आध्यात्मिक और प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करता है 

नवरात्रि के चौथे पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी समृद्धि और शांति देवी की पूजा करने के लिए समर्पित है मुक्ति प्राप्ति कर लेता है पर वह अभी सच्चे ज्ञान से वंचित है ज्ञान एक मानवीय जीवन जीने के लिए आवश्यक है भले ही वह सत्ता और धन के साथ समृद्ध है

इसलिए नवरात्रि के पांचवें दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है सभी पुस्तकों और अन्य साहित्य सामग्रियों को एक स्थान पर इकट्ठा कर दिया जाता है और देवी और आशीर्वाद लेने के लिए देवता के सामने दीया जलाया जाता है . 

अब मैं सातवें और आठवें दिन और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है आध्यात्मिक ज्ञान के उद्देश्य के साथ की जाती है , यज्ञ किया जाता है 

नो दिन नवरात्रि का अंतिम दिन है , यह महान के नाम से जाना जाता है इस दिन कन्या पूजन होता है जिसमें नौ कन्याओं की पूजा होती है, नौ कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है कन्याओं का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए जाते हैं पूजा के अंत में कन्याओं को उपहार के रूप में नए कपड़े प्रदान किए जाते हैं या जो भी व्यक्ति की इच्छा हो प्रदान करता है 

नवरात्रि से जुड़ी प्रमुख कथा : 

नवरात्री क्यों मनाई जाती है


लंका युद्ध में ब्रह्मा जी ने श्री राम से रावण वध के लिए देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और बताए अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ 108 नीलकमल की व्यवस्था की गई 

वहीं दूसरी और रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया यह बात इंद्रदेव ने पवन देव के माध्यम से श्री राम के पास पहुंचा और ब्राह्मण दिया कि चंडी पाठ यथासंभव पूर्ण होने दिया जाए इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता सर नजर आने लगा है..

इस बात का था कि देवी मां रूठ ना हो जाए दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी तब भगवान राम को शीशम रणवा कि मुझे लोग " कमलनयन नव कंज लोचन कहते हैं "  तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही एक बार निकाल कर अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए तब देवी प्रकट हुई हाथ पकड़कर कहा राम मैं प्रसन्न हूं और विजय श्री का आशीर्वाद देती हूं 

चंडी पाठ में ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धरकर हनुमान जी सेवा में जुट गए निस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वरदान मांगने को कहा इस पर हनुमान ने विनम्रता पूर्वक प्रभु प्रसन्न है तो इस मंत्र से याद कर रहे हैं उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए ,‌‌ ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया.

मंत्र में देवी मूर्ति "हरिणी" में किस स्थान पर को उपचारित करें यही मेरी इच्छा है मूर्ति हरिणी यानी कि, प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और करनी का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली जिससे देवी नाराज हो गई और रावण का सर्वनाश करवा दिया हनुमान जी महाराज ने श्लोक में किस जगह का करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी 


दोस्तों इस से जुड़ी अन्य कथा भी है जो इस प्रकार है इस पर्व से जुड़ी एक अन्य कथा अनुसार :



देवी दुर्गा ने एक बहस रूपी असुर महिषासुर का वध किया था पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवता ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया उसे वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि ,वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा और अप्रत्याशित प्रतिफल स्वरूप मां महिषासुर ने नर्क का विस्तार के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देख देवता विश्व में किस स्थिति में आगे सूर्य, अग्नि , वरुण और अन्य दल के सभी अधिकार छीन लिए थे और स्वयं सर का मालिक बन बैठा देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा है 

इससे क्रोधित होकर देवताओं में देवी दुर्गा देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था. महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने शस्त्र अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गई थी इन देवी महिषासुर संग्राम हुआ और अंततः महिषासुर वध कर महिषासुरमर्दिनि कहलाए. 

दोस्तों आप लोग शायद सोच रहे होंगे कि नवरात्रि तक पूरे साल में दो ही होते हैं लेकिन मैंने चार कैसे बताया.  

दोस्तों दो नवरात्रे तो सभी लोग जानते हैं, मगर दो नवरात्रे और होती हैं पूरे साल में जिन्हें गुप्त नवरात्रि बोला जाता है लेकिन इन्हें कम लोग ही जानते हैं इसलिए मैंने चार नवरात्रों के बारे में वर्णन किया है. 

नवरात्रों में किए जाने वाले धार्मिक कार्यों :

दोस्तों अब मैं आपको नवरात्रों में किए जाने वाले धार्मिक कार्यों के बारे में बताता हूं पूजन तथा क्षेत्रीय शस्त्र पूजन आरंभ करते हैं , विजयदशमी दशहरे एक राष्ट्रीय पर्व है, अर्थात आश्विन शुक्ल दशमी को साईकिल तारा उदय होने के समय विजय काल रहता है. 

क्षत्रिय और राजपूत इस दिन प्रात स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर संकल्प मंत्र लेते हैं इसके पश्चात देवताओं गुरुजन अस्त्र-शस्त्र आदि के यथा विधि पूजन की परंपरा है 

नवरात्रि के दौरान प्रार्थना , स्वास्थ्य और समृद्धि के संरक्षण के लिए रखते हैं इस व्रत के समय मांस , शराब , अनाज गेहूं और प्यास नहीं खाते नवरात्रि और मौसमी परिवर्तन के काल के दौरान अनाज आमतौर पर प्रेस कर दिए जाते हैं कि अनाज नकारात्मकता ऊर्जा को आकर्षित करता है नवरात्रि आत्मनिरीक्षण और शुद्धि का अवधी है और पारंपरिक रूप से नए उद्यम शुरू करने के लिए एक शुभ और धार्मिक समय है

 

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