नमस्कार दोस्तों स्वागत है दोस्तों आज हम जानेंगे माता वैष्णो देवी से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य जो शायद ही आपको पता हो  दोस्तों शुरू करते हैं माता वैष्णो देवी जगत जननी, जगत धारिणी, माता के दर्शन मात्र से ही सारे भक्तों के दुख कष्ट आप सब कट जाते हैं 

माता के दरबार में जोली फैलाने वाले को माता कभी खाली हाथ नहीं जाने देती आपने भी जरूर माता वैष्णो देवी के मंदिर में अपनी हाजिरी लगाई होगी दर्शन किए होंगे चलिए आज हम आपको 10 ऐसे रहस्य बताते हैं जो माता वैष्णो देवी से जुड़े हैं.


10 ऐसे रहस्य बताते हैं जो माता वैष्णो देवी से जुड़े हैं : 



1. वैष्णो देवी का जन्म : 

हिंदू महाकाल के अनुसार मां वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्नाकर सागर के रामेश्वर तट पर जन्म लिया था उनके माता पिता लंबे समय से निसंतान थे उसी प्रांत माता वैष्णो देवी ने रत्नाकर सागर के घर में जन्म लिया. 

देवी के जन्म से एक रात पहले रत्नाकर सागर ने वचन लिया था कि बालिका जो भी चाहे उसकी इच्छा के रास्ते में वह कभी नहीं आएंगे मां वैष्णो देवी को बचपन में त्रिकुटा नाम से बुलाया जाता था बाद में विष्णु के वंशज जन्म लेने के कारण वे वैष्णवी कहलाए.

तिलकुटा और रामेश्वर रत्नाकर सागर की पुत्री देवी त्रिकुटा को जब 9 वर्ष की उम्र में पता चला कि भगवान विष्णु ने राम के रूप में जन्म लिया है तब देवी त्रिकुटा ने राम को पति रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी 

सीता हरण के बाद जब राम और त्रिकुटा की पहली मुलाकात हुई तब देवी त्रिकुटा ने राम को पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की तब भगवान राम ने त्रिकूट को कहा मैंने इस अवतार में एक पत्नी व्रत रहने का वचन लिया है मेरा विवाह सीता से हो चुका है इसीलिए मैं आपसे विवाह नहीं कर सकता.

देवी त्रिकुटा ने  बहुत विनय किया तब भगवान राम ने कहा कि लंका से लौटते समय जब मैं आपके पास आऊंगा तब अगर आपने मुझे पहचान लिया तो मैं आपसे विवाह कर लूंगा श्री राम अपना वचन निभाने के लिए लंका से लौट कर पास आए लेकिन भगवान राम की माया के कारण त्रिकुटा उन्हें पहचान न सके ताकि दुख को दूर करने के लिए श्रीराम ने कहा कि देवी त्रिकुटा पर्वत पर स्थित गुफा में जाकर मेरी प्रतीक्षा कीजिए. 

कलयुग में जो मेरा अवतार होगा तब मैं आपसे विवाह कर लूंगा तब तक महावीर हनुमान आपकी सेवा में रहेंगे इसी प्रकार भगवान राम के आदेश के अनुसार आज भी वैष्णो माता प्रतीक्षा कर रही हैं और अपने दरबार में आने वाले भक्तों के दुख दूर कर उनकी झोली भर रही है.


2. वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण : 

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ऐसा कहा जाता है कि वैष्णो देवी माता मंदिर का निर्माण लगभग 700 साल पहले ब्राह्मण पुजारी पंडित श्रीधर द्वारा किया गया था वह बहुत ज्यादा गरीब थे .

उनके मन में माता वैष्णो देवी के लिए बहुत ज्यादा भक्ति थी ऐसा कहा जाता है कि उन्हें एक दिन सपने में माता वैष्णो दिखी और कहा कि उनके लिए भंडारा करें माता वैष्णो को समर्पित इस भंडारे के लिए पंडित श्रीधर ने सभी को भंडारे का न्योता भी दे दिया इस भंडारे को कराने के लिए लोगों ने मदद भी की लेकिन वह मदद काफी नहीं थी.

भंडारे के दिन नजदीक थे और पंडित श्रीधर यह सोच रहे थे कि इतने कम समय में भंडारा कैसे हो पाएगा इस चिंता में ब्राह्मण रात भर सो भी नहीं पा रहे थे ऐसे में उन्हें बस देवी मां के चमत्कार की उम्मीद थी.

भंडारे के दिन बुलाए गए सभी लोग ब्राह्मण की छोटी सी कुटिया में बैठ गए और इसके बाद भी कुटिया में काफी जगह बची हुई थी इसके बाद ब्राह्मण में सोचा कि वह इन सब को कैसे भोजन करा पाएगा उसी वक्त ब्राह्मण ने एक लड़की को बाहर से आते देखा जिसका नाम वैष्णवी था.

भंडारे के बाद जो ब्राह्मण में कन्या रूप में आई माता वैष्णवी से मिलना चाहा तो वह गायब हो चुकी थी जब कुछ दिन बाद ब्राह्मण को वैष्णवी कन्या का सपना आया उसमें स्पष्ट हुआ कि वह मां वैष्णो देवी थी कन्या के रूप में आई माता वैष्णो ने ब्राह्मण को सनसनी गुफा के बारे में बताया.

इसके बाद ब्राह्मण श्रीधर मां की गुफा की तलाश में निकल पड़े और उन्हें यह गुफा मिली तब उन्होंने यह तय कर लिया कि अपना सारा जीवन मां की सेवा करेंगे और इसी तरह ब्राह्मण श्रीधर द्वारा मां वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण हुआ


3. वैष्णो देवी मंदिर की दो गुफाएं :


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वैष्णो देवी के मंदिर में एक नहीं बल्कि 2 गुफाएं स्थित हैं जिसमें से एक गुफा को हम सभी गर्भ जून के नाम से जानते हैं जो त्रिकूट पर्वत पर स्थित है उसकी ऊंचाई लगभग 12 फीट है यह कुमारी के पास है जहां मां वैष्णो देवी ने 9 महीने कठोर तपस्या की थी.

इस मंदिर की एक और दूसरी गुफा है जो कि भवन के पास स्थित है इसमें तीन पीढ़ियों का वास है यह प्रिया देवी सरस्वती, लक्ष्मी, काली की है लेकिन माता वैष्णो देवी की यहां कोई भी नहीं है.

माता वैष्णो देवी या अदृश्य रूप में मौजूद है फिर भी यह स्थान वैष्णो देवी तीर्थ के लाता है इस गुफा में पवित्र गंगाजल निकलता रहता है माना जाता है यहां कई प्रकार के चमत्कार भी देखने को मिलते है.

4.दिशा में भैरव का रहस्य माता : 


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दिशा में भैरव का रहस्य माता वैष्णो देवी मंदिर में भैरव का शरीर रखा गया है मां वैष्णो देवी ने भैरव को त्रिशूल से मारा था जिससे उसका सर उड़कर त्रिकूट पर्वत पर भैरव घाटी में चला गया था. 

जिसके कारण वह भैरव मंदिर का निर्माण हुआ था और तभी से भैरव का शरीर माता वैष्णो देवी के मंदिर में है कहा जाता है कि अपने वध के बाद भैरव को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उसने मां से शमा की भीख मांगी माता वैष्णो देवी जानती थी कि उन पर हमला करने के पीछे भैरव की प्रमुख मंचा मोक्ष प्राप्त करने की थी.

उन्होंने ना भैरव को पुनर्जन्म के चक्कर से मुक्ति प्रदान की और उसे वरदान देते हुए कहा कि " मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं होंगे जब तक भक्तों मेरे पास तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा "  उसी मान्यता के अनुसार आज भी भक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन के बाद करीब पौने 3 किलोमीटर की चढ़ाई करके भैरव के दर्शन करने जाते हैं तो दोस्तों आप भी जब माता वैष्णो देवी के दर्शन करने जाएं तो भैरव के दर्शन जरूर करें

5. महाभारत के युद्ध से पहले माता वैष्णो देवी की पूजा : 

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महाभारत पांडवों और कुरुक्षेत्र युद्ध का विवरण देता है जिसमें वैष्णो देवी की पूजा का उल्लेख है कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र युद्ध से पहले कृष्ण की सलाह से देवी की पूजा की थी उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां वैष्णो देवी के रूप में उनके सामने प्रकट हुई.

जब देवी प्रकट हुई तो अर्जुन ने एक स्त्रोत के साथ उनकी स्तुति करना शुरू कर दिया आमतौर पर माना जाता है कि पांडवों ने सबसे पहले कोल कंडोली और भवन में देवी मां के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता में मंदिर का निर्माण किया था.

एक पहाड़ पर त्रिकुटा पर्वत से सटे और पवित्र गुफा की ओर मुख किए हुए 5 पत्थर की संरचनाएं हैं जिन्हें पांच पांडवों के रूप प्रतीक माना जाता है

6. गुरु गोविंद सिंह द्वारा किया गया वैष्णो देवी का  दौरा :


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यहां दर्ज किया गया है कि, गुरु गोविंद सिंह ने माता वैष्णो देवी की मंदिर का दौरा किया था. जब वह पूरा मंडल की यात्रा कर रहे थे यह देवी मां के मंदिर में जाने वाले किसी ऐतिहासिक व्यक्ति का सबसे पहला अभिलेख तो यह भी माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद जैसे कई प्रमुख संतों ने मंदिर का दौरा किया.

7. राजस्थान की वैष्णो देवी अर्बुदा देवी : 


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राजस्थान की वैष्णो देवी मानी जाती है मां कात्यायनी का हर रूप उनका जिले में स्थित राजस्थान के एकमात्र पहाड़ी इलाके, माउंट आबू में की झील के निकट ही, ऊंची पहाड़ियों में माता का भव्य मंदिर है सालों से चैत्र नवरात्रि हो या श्राद्ध नवरात्र हो यहां पर दर्शनार्थियों का सैलाब हमेशा उमड़ आता है.

माता वैष्णो देवी मंदिर का रास्ता बताया जाता है कि, माता के दर्शन के लिए जिस रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है वह असल में एक प्राकृतिक रास्ता नहीं है बल्कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए 1977 में इस रास्ते का निर्माण करवाया गया था तब से लेकर आज भी इसी रास्ते से गुजर कर मां के भक्त उनके दर्शन को जाते हैं और आजकल की तकनीकी व्यवस्थाओं की वजह से आप लोग हेलीकॉप्टर जैसी सेवाओं का भी आनंद ले सकते. 

8. मंदिर में भक्तों के द्वारा चढ़ाया गया चढ़ावा : 

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वैसे तो वैष्णो देवी मंदिर में हर महीने भक्तों की भीड़ रहती है चाहे गर्मी हो, बरसात हो, ठंड हो चाहे कैसा भी मौसम हो भक्तों की भीड़ माता के दर्शन के लिए हमेशा रहती है लेकिन नवरात्र शुरू होते ही मंदिर में भक्तों की भीड़ 10 गुना बढ़ जाती है

माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं और नवरात्र में वैष्णो देवी मंदिर की रौनक कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है भक्तों द्वारा प्रसाद का दान आदि चढ़ाया जाता है 

लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि आखिर माता वैष्णो मंदिर में हर वर्ष लगभग भक्तों द्वारा कितना चढ़ावा चढ़ाया जाता है माता वैष्णो देवी का मंदिर पांचवा सबसे अमीर मंदिर है जहां हर वर्ष लगभग 500 करोड़ की राशि भक्तों द्वारा चढ़ाई जाती है 

अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस मंदिर का देश में ही नहीं पूरे विश्व में क्या महत्व है 

आपने क्या सीखा ? 

मुझे आशा है कि आपको ,10 ऐसे रहस्य बताते हैं जो माता वैष्णो देवी से जुड़े हैं आर्टिकल आपको पसंद आया होगा अगर आपको यह आर्टिकल से रिलेटेड कोई भी सवाल या फिर कोई भी डाउट हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताइए. 

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