2400 साल पुरानी एक Mummy
आपने कई सारे अलग-अलग कहानियों में या फिर मूवीस में Mummy को देखा और देखा भी क्यों ना हो. Mummy पर बनी सबसे मशहूर Movie The Mummy Returns तो आपने जरूर ही देखे होगी. या मोदी में आपको मम्मी के बारे में काफी सारे बात पता भी चली होगी. आपको लगता होगा कि Mummy सफेद कलर के कपड़े में लिपटी हुई होती है , लेकिन Mummy काफी प्रकार की होती है.
जयपुर के म्यूजियम में रखने वाली Mummy को 130 साल पहले मिस्र के काहिरा शहर से भारत लाई गई थी. और आपको जानकर आश्चर्य होगा , Mummy पहली बार खोला गया है. आखिर यह ताबूत में क्या होगा ? चलिए जानते हैं.
मम्मी क्या है ?
Mummy एक सुरक्षित सव है जिसमें अंग और शरीर के त्वचा जैसे कई सारी चीजों को जानबूझकर या फिर बिना- बुझे सुरक्षित मंत्रों के साथ सुरक्षित कर दिया जाता है.
मौत के बाद शरीर के साथ क्या होता है.?
हमारे शरीर की रचनाएं ऐसे तरह बनी है कि , इसे कोई नहीं समझ सकता अगर किसी प्राणी , मनुष्यों और जिस चीज में जीव है. वह सारी चीजें मौत के बाद सड़ने या फिर गलने लग जाती है. साइंस की भाषा में इसे Decomposition या फिर विघटन कहते हैं.
अब आपको सवाल होगा कि जब हम ,
जीवित होते हैं तब हमारा शरीर सड़ने या फिर गलने क्यों नहीं लगता.?
जब हम जीवित होते हैं तब, हमारे अंदर डाइजेस्टिव एंज़ाइम्स होते हैं. ये एंज़ाइम्स खाने को तोड़ते हैं, जिससे पाचन में मदद मिलती है. मौत के बाद ये डाइजेस्टिव एंज़ाइम्स फुर्सत हो जाते हैं, तो ये हमारे शरीर के अंदर तोड़-फोड़ मचाने लगते हैं.
तभी शरीर के अंदर के बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं. हमारा इम्यून सिस्टम इनको कायदे में रखता है और मौत के बाद इन्हें रोकने वाला कोई नहीं रहता . यह शरीर में खूब फैलते हैं. कुछ दिनों में ये पेट से पूरे शरीर में फैल जाते हैं और हमें बढ़िया से साफ़ कर देते हैं.
अगर हमने कोई भी शरीर को ऐसे ही रख दिया तो कुछ दिनों के बाद उसकी हड्डियां और कुछ दशक के बाद कुछ भी नहीं बचता.
Decomposition काफी सारी चीजों से होता है जैसे कि तापमान, हवा में नमी, मिट्टी और कीड़े मकोड़े पर निर्भर होता है. यहां दिए गए चीजों में से कोई भी हवा में ज्यादा हो तो Decomposition बहुत ही जल्दी होता है.
हमारे खाने को सबसे ज्यादा बर्बाद Bacteria करते हैं. इससे बचाने के लिए हम खाने को फ्रिज में रखते हैं. आज के आधुनिक समय में लाश को एक बड़े से फ्रीजर में रखा जाता है जहां पर उसे बैक्टीरिया खराब ना कर दे उस से बचाया जाता है. तो हजारों साल पहले फ्रीज नहीं था. तो आज मम्मी कैसे बची है ? इनमें रखे गए बॉडी का Bacteria क्यों नहीं खा गए ?
मिस्र की ममी का सीक्रेट
मिस्र की ममी के बहुत पहले से ही सबूत मिलते हैं. लेकिन इन लोगों से पहले भी कोई मम्मी बनाता था. मम्मी को बनाने में इन लोगों का कोई भी इरादा नहीं था बस इसे एक तूके में बनाया गया है.
मिस्र एक ऐसा शहर है जहां पर बारिश बहुत ही कम होती है. यह इलाका काफी सूखा और तापमान भी बहुत ज्यादा होता है. वह दिखाई जाते बॉडी को वहां का रेगिस्तान बॉडी में से काफी सारा नमी खींच लेता था. और बॉडी को काफी सुखा कर देता था. और वातावरण में कोई नमी होने ना होने के वजह से वह बॉडी जैसी की वैसी ही रहती थी और बच जाती थी.
इसे देखकर प्राचीन काल के लोगों को शरीर बचाने का सुझाव आया. करीब 2600 ईसा पूर्व के आसपास, मिस्र के लोगों ने जान-बूझकर ममी बनाना चालू कर दिया. समय के हिसाब से ममी बनाने की विधि में बदलाव आए. हज़ार साल के बाद वो बहुत बढ़िया ममी बनाने लगे और ये प्रथा वहां पॉपुलर हो गई.
मृत शरीर को ममी में बदलने का काम मिस्र में खास पुजारी करते थे. ये पुजारी थोड़ा बहुत सर्जरी और मानव शरीर का ज्ञान भी रखते थे. कई चरणों में बंटे इस प्रोसेस में करीब 70 दिन का वक्त लगता था.
सबसे पहले वह लोग बॉडी को अच्छी तरह से धो लेते थे उसके बाद शरीर के ऊपर आए आंतरिक अंगों को निकालकर अलग कर देते थे. उसके बाद वह विधि शुरू करते थे. मौत के बाद इंसान का सबसे पहले दिमाग मारता है और इसकी शुरूआत वहीं से ही होती है. वह लोग हुक टाइप एक नुकीला सा उपकरण नाक में से डालकर दिमाग को निकाल देते थे यह कार्य काफी ध्यान से किया जाता था. इससे मुंह को कोई हानि ना हो उसको ध्यान देते थे.
उसके बाद छाती पर पेट में से अंग निकाल लिया जाता था सबसे ज्यादा बैक्टीरिया वही होते हैं और वही से निर्माण भी वहीं से होता है. लेकिन पेट और छाती में से वह लोग दिल को यानी की हड्डी को वैसे के वैसे ही रखते थे. प्राचीन लोग दिल को एक अहम हिस्सा मानते थे. शरीर में से निकाली गई है सारी चीजों को वह नहीं फेंकते थे लेकिन यह चीजों को भी वह संभाल कर रखते हैं. आमाशय, लिवर, फेफड़े और आंतों को अलग-अलग बरनी (कैनोपिक जार) में रखा जाता था. इन अंगों ममी के साथ दफन किया जाता था.
ये अंग निकालने के बाद अगला काम होता था शरीर से पूरा मॉइस्चर यानी नमी सोखना. पूरे शरीर को नैट्रॉन में दबा दिया जाता था. नैट्रॉन एक स्पेशल टाइप का सॉल्ट होता है, जिसमें नमी सोखने वाले गुण होते हैं. शरीर के अंदर से भी पूरी नमी सोख ली जाए, इसलिए अंदर अतिरिक्त नैट्रॉन के पैकेट डाले जाते हैं. कई दिनों बाद जब शरीर एकदम सूख जाता था, तब शरीर से सारा नैट्रॉन झाड़ लिया जाता था. शरीर को अच्छे से साफ कर लिया जाता था. चूंकि इसके बाद शरीर सूख कर पत्ता हो जाता था, इसलिए शरीर के सिकुड़े हुए हिस्सों को फुलाने के लिए लिनेन वगैरह भर देते थे. लिनेन एक टाइप का कपड़ा होता है, जो मिस्र में बहुत इस्तेमाल होता था.
इसके बाद अच्छी सेफ्टी के लिए रेजिन तथा सुगंध वाले पदार्थ लगाए जाते थे. उस समय चिपकाने के लिए रेजिन का यूज किया जाता था जिसे पेड़ में से निकाला जाता था.
रेज़िन से लेनिन की कई पट्टियां चिपकाने के बाद उसे एक मोटे लिनेन के कपड़े से ढंक दिया जाता था. फिर इस कपड़े के ऊपर दोबारा पट्टियां लगाई जाती थीं और ममी को एक ताबूत के अंदर सुरक्षित रख दिया जाता था. कई बार ममी के साथ कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया और उनके कुछ ज़रूरी सामान भी पाए जाते हैं.
मम्मी किस प्रकार बन सकती है. ?
ममी मतलब सिर्फ वो डरावनी वाली सफेद पट्टियों में लिपटी बॉडी नहीं होती. ममी दो टाइप की होती हैं.
1. Natural Mummy. जिनके शरीर संयोग से बच
गए.
2. Artificial Mummy. जिन्हें जुगाड़ लगाकर बचाया गया.
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